Saturday 29 July 2017

Chamba himachal pradesh

CHAMBA HIMACHAL PRADESH

चम्बा हिमाचल प्रदेश में स्थित है जो की रावी नदी के किनारे पर बसा है चम्बा में दो नदियाँ कल कल कर बहती हैं एक रावी और साहल नदी चम्बा वैसे भी फैमस रहा फिल्म जगत में भी कई फिल्मों में चम्बा को दर्शाया गया है । जैसे पर्वत के पीछे चम्बे दा गांव , जैसे चम्बा एक अचंभा है नये जमाने के रंग में रंग जाने के बाद भी यहां लोकरंग जीवंत रूप में नजर आता है । यहां के देवी देवता यहां की जीवन शैली में घुल मिल गए हैं प्राचीन मंदिरों और उत्सवों परम्पराओं  को सहेजने की कला वखूबी जानते हैं यहां के लोग सीधे साधे व् सुंदर होते हैं सीमा पर होने की बजह से  पंजाब और जम्मू की जनजातीय संस्कृति का प्रभाव भी दिखाई देता है । कहा जाता है कि जो एक बार यहां जाता है बो एक महीना यहां गुजार देना चाहता है बारिश के मौसम में यहां की संस्कृति उत्सव मेलों का लुफ्त भी उठा सकते है ।

खजियार यानि मिनी स्विट्ज़रलैंड की खूबसूरत पहाड़ियां चरों तरफ हरियाली ,नदियाँ और झीलें दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं स्विट्ज़रलैंड के तत्कालीन राजदूत यहां की खूबसूरती से आकर्षित होकर 7 जुलाई 1992 को खजियार को हिमाचल प्रदेश का स्विट्ज़रलैंड का नाम दे गए थे । यहां का मौसम चीड़ और देवदार के वृक्ष , हरियाली  पहाड़ और वादियां स्विट्ज़रलैंड का एहसास करवाती हैं हजारों साल पुराने इस हिल स्टेशन को खासकर खज्जी नाग मंदिर के लिए जाना जाता है । यहां नाग देव की पूजा होती है । जन्नत माने जाने वाले खजियार का एक बड़ा आकर्षण  चीड़ व् देवदारों से  ढकी झील है । झील के चारों और हरी हरी मुलायम घास खूबसूरती में चार चांद लगा देती है झील के बीच में दो टापू नुमा स्थान है । खजियार में तरह तरह के खेलों का प्रयोजन भी किया जाता है । लेकिन गोल्फ के शौकीनों के लिए ये जगह अच्छी है ।

डलहौजी में टैगोर-नेताजी की यादेँ

अंग्रेजी शासन के समय 1857 में आस्तित्व में आया था चम्बा का यह शहरयह स्थल चम्बा से 192 किलोमीटर दूर है जो हिमाचल के फेमस पर्यटक स्थलों में एक है । जहाँ खूबसूरत कुदरती नाजरीन के बीच पर्यटन का आनंद उठाया जा सकता है । यहां प्राचीन मंदिरों औपनिवेशिक इमारतों , माल रोड , चर्च आदि में से कुछ यादगार  विरासतों में शुमार लिया गया है यह स्थान 5 पहाड़ियों पर वसा है । अंग्रेज अधिकारी लार्ड कर्जन ने स्थानीय राजा की मदद से इस ओरयत्न स्थल को विकसित किया था । लार्ड कर्जन खुद कभी डलहौजी नहीं आये । इसके साथ नेताजी सुभाष चंद्र बोस व् साहित्यकार रविन्द्र नाथ टैगोर जैसी महान हस्तियों का नाम भी जुड़ा है नेता जी एक बार बीमार पड़े थे तो उन्हीने स्वस्थ होने के लिए यहां 6 महीने बिताये थे वे जिस बावड़ी का पानी पीते थे उसका नाम भी सुभाष बावड़ी रखा गया है गांधी चौक में स्थित कोठी में अपने मित्र के पास ठहरते थे आज भी नेता जी से जुडी टेबल कुर्सी अन्य चींजे माजूद हैं कहते है कि रवीन्द्रनाथ टेगोर जी को अपनी सुप्रसिद्ध कृति गीतांजलि को लिखने की प्रेणना यहां ही मिली थी

PANGI AND CHURAH VALLEY

चम्बा में स्थित पांगी और चुराह वे स्थान हैं , जिन्हें कुदरत के हसींन नजारों के बीच पर्यटन और ट्रेकिंग के लिए विकसित किया जा रहा है । लोक संस्कृति और प्राचीन विधाओं और मान्यताओं से ओत प्रोत पांगी घाटी मध्य हिमालय में स्थित है इसकी ऊंचाई समु्द्र तल से 8 से 12 हजार फीट है । चुराह घाटी बागवानी के लिए मशहूर है । घाटी के लोग अधिकतर कृषि पर निर्भर रहते हैं यहां सेब की अच्छी पैदावार होती है । चुराह घाटी में  मौजूद सतरूँडी व् साच पास सैलानियों को बहुत पसंद है इसकी बजह से यहां पर भारी मात्रा में बर्फ का होना है वर्फ को देखने के लिए यहां देश विदेश से हजारों पर्यटक आते हैं समुद्र तल से 14500 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित साच पास पांगी घाटी को चम्बा से जोड़ने के लिए  सबसे कम दूरी वाला मार्ग है इसलिए यहां आने जाने वाली गाड़ियों से यह घाटी हमेशा गुलज़ार रहती है चम्बा जाने के लिए निकट रेलवे स्टेशन पठानकोट है यहां सड़क मार्ग से चम्बा की दुरी 120 किलोमीटर है

Manimahesh yatra

जन्माष्टमी पर मणिमहेश यात्रा होती है । महादेव की तपस्थली मणिमहेश यात्रा का रोमांच भी लोगो को चम्बा की और खीँच लाता है । समुद्रतल से यह लगभग 13500 फ़ीट है दुर्गम और पथरीला रास्ता होने के बाबजूद भी लोग यहां चले आते हैं । हर साल श्री जन्माष्टमी से लेकर राधाष्ठमी तक चलने वाली इस यात्रा का अलग ही महत्व है । यहां कैलाश छोटी के ठीक नीचे से  मणिमहेश गंगा का उदभव है । कैलाश पर्वत की छोटी पर शिवलिंग के स्वरूप वाले चट्टान की इस यात्रा में पूजा की जाती है ।

Suhi mela

रानी सुनयना के नाम पर लगता है सूही मेला । रानी सुनयना वह देवी थी । जिसने प्रजा को पानी उपलब्ध कराने के लिए अपना बलिदान दे दिया था । कहा जाता है चम्बा नगर वसने के बाद यहाँ पानी की समस्या हुयी थी । कहा जाता है कि राजा को स्वपन हुआ था कि स्वपन में दैवीय आदेश मिला की राजपरिवार से बलि दी जाये तो कमी दूर हो सकती है रानी ने वलिदान देना स्वीकार कर लिया था । रानी के प्रति श्रद्धा का प्रतीक यह प्रचलित गीत है । ठंडा पानी किया करि पीना हो तेरे नैना हेरी हेरी जीना हो । वलिदान के समय देवी ने लाल वस्त्र पहने थे । लाल रंग को बहन की भाषा में सुहा रंग कहा जाता है । इस कारण रानी का नाम सुही पड़ गया था । उनके नाम पर हर वर्ष चैत्र माह मे सुहा मेले का आयोजन किया जाता है ।

Minjor mela

जुलाई के अंतिम सप्ताह में मिंजर का मेला मनाया जाता है । मिंजर का अर्थ है । मक्के तथा गेहूं से बनाई हुई बालियां । 17वी शताव्दी के मध्य चम्बा के राजा पृथ्वी राज की नूरपुर राज्य पर जीत के साथ परम्परा शुरू हुयी थी । इस उत्सव में मल्हार गीत गाया जाता है । यह आस्था के साथ सौहार्द की मिशाल है जब मुस्लिम परिवार भगबान रघुनाथ को मिंजर अर्पित करते हैं । तभी ये आयोजन आरम्भ होता है । राजा पृथ्वी राज ने कड़ाई के काम के लिए दिल्ली से मिर्जा परिवार के कुछ लोगो को चम्बा बुलाया था । जो कड़ाई के काम में निपुण थे तब से आज तक उनके वंश के लोग मिंजर बनाते हैं इस पीढ़ी में इसे खलीद और नदीम कहा जाता है ।

Luxmi narayan temple chamba

लक्ष्मीनारायण मंदिर यह शहर का सबसे भव्य मंदिर है मंदिर परिसर में श्री लक्ष्मी दामोदर मंदिर , महामृत्यंजय मंदिर , श्री लक्ष्मी नाथ मंदिर , श्री गुप्त महादेव मंदिर और राधा कृष्ण मंदिर है । इस मंदिर को साहिल वर्मन ने बनवाया था । राजा चतर सिंह ने 1678 मंदिर के दरवार में सोने का आवरण चढ़ाया था । कहा जाता है पहले यह मंदिर चम्बा के चौगान में था । बाद में इसे बर्तमान स्थल में स्थापित किया । मंदिर में लक्ष्मी नारायण  की वेखुंट मूर्ति कश्मीरी और गुप्तकालीन निर्माण का अनूठा प्रतीक है ।  इस मूर्ति के चार मुख और चार हाथ हैं । मूर्ति की पृष्ठभूमि में 10 अवतार चित्रित हैं ।

Dharmaraj temple in chamba

धर्मराज की कचहरी ।
चम्बा से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित भरमौर में 84 मंदिरों का समूह है । इसमें एक धर्मराज का मंदिर भी है । चम्बा रियासत के राजा मेरु वर्मन ने छटी शताब्दि में इस मंदिर की सीढ़ियों का जीर्णोद्धार कराया था । मान्यता है कि मरने के बाद हर व्यक्ति को इस मंदिर में जाना पड़ता है । मंदिर में एक खाली कमरा है जिसे चित्रगुप्त का कमरा माना जाता है । कहते हैं की मृत्यु के बाद धर्मराज के दूत उसकी आत्मा को चित्रगुप्त के सामने पेश करते हैं । इस कमरे को धर्मराज की कचहरी भी कहा जाता है । पुजारी बताते है कि सदियों पूर्व चौरासी मंदिर समुह में  दिन के समय भी कोई नहीं जाता था । अप्राकृतिक मृत्यु होने पर यहां पिंडदान किये जाते हैं ।

Tuesday 25 July 2017

Himachali top 10 slang


TOP 10 SLANG USE BY YOUNG HIMACHALI

MERA HIMACHAL PYARA HIMACHAL & NRI HIMACHAL WALE


Himachali memes troll funny dailouge

Himachali jokes , himachali trolls , mera himachal pyara himachal , N R I Himachal wale ,













Tuesday 11 July 2017

Pahadi gandhi baba kanshi raam

PAHADI GANDHI ( BABA KANSHI RAM )




Short notes for Has , allied services HPPSC , HPSSSB exam

बाबा कांशी राम जी को पहाड़ी गांधी के नाम से भी जाना जाता है इनका जन्म हिमाचल प्रदेश के डाडासीबा में हुआ जो की जिला काँगड़ा के देहरा उपमंडल में है । इनका जन्म 11 जुलाई 1882 में हुआ हुआ इनके पिता का नाम लखनु शाह और माता का नाम रेवती है 13 बर्ष की उम्र में माता पिता को खो दिया था । बाबा कांशी राम जी महात्मा गांधी के महान प्रशंसक तथा आजादी के प्रवर्तक थे

1905 में काँगड़ा घाटी में भूकम्प

1905 में काँगड़ा घाटी में आये भूकंप ने उनके मन में बहुत प्रभाव डाला । इस त्रासदी में बेसहारा और असहाय लोगों की मदद में बाबा जी ने सक्रिय भूमिका निभाई ।

1919 में जलियावाला बाग हत्याकांड

1919 में जालियां वाला हत्याकांड के बाद उनके भीतर का कवि हृदय जागा । महात्मा गांधी के सन्देश को लोंगो तक पहुँचाया । पहाड़ी भाषा में रचकर जन जन तक पहुंचाई । जलियांवाला बाग हत्याकांड के उपरांत ही उन्होंने महात्मा गांधी के सन्देश को उनकी कवितायों व् गीतों के माध्य्म से पहाड़ी भाषा में प्रसारित किया महात्मा के संदेशों का उन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा उन्होंने कसम खाई थी की जब तक भारतवर्ष आज़ाद नी हो जाता तब तक बो काले कपड़े ही धारण करेंगे

11 बार जेल के गये

1920 में 5 मई को पहली बार वह जेल गए उनके साथ लाला लाजपत राय भी थे । 1922 में उन्हें जेल से मुक्ति मिली थी । जेल जाने के बाद बापिस आने पर भी उन्होंने कवितायेँ लिखना नहीं छोड़ा 11 बार वह जेल गए अपने जीवन के 9 साल उन्होंने जेल के ही बिताये ।

23 मार्च 1923

23 मार्च 1931 को शहीद भगत सिंह , राजगुरु और सुखदेव सिंह को फांसी हुई तो बाबा जी इतने व्यथित हुए की आज़ादी मिलने तक काले कपडे पहनने का एलान किया, तो स्याहपोश जरनैल कहलाये ।

1934  में  सरोजिनी नायडू ने उन्हें बुलबुल ए पहाड़ कहा ।

1937
1937 में पडिंत जवाहर लाल नेहरू ने होशियार पुर के गढ़दीवाला में कांग्रेस की सभा में पहाड़ी गांधी की उपाधि दी ।

1943 में मृत्यु

1943 में 15 अक्टूबर को उनका निधन हो गया , लेकिन उन्होंने आतिमं क्षण तक उन्होंने काले कपडे पहन कर रखे

बाबा कांशी राम जी का डाक टिकट

1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनके नाम का डाक टिकट जारी किया था । बाबा कांशी राम जी ने 500 कविताएं लिखी और 8 लघुकथाएं लिखी । लाला लाजपत राय , लाला हरदयाल , सरदार अजीत सिंह और मौलवी बरकत उल्लाह के संपर्क में आने के बाद उनके जीवन का लक्ष्य ही बदल गया ।

11 जुलाई 2017 

11 जुलाई 2017 को हिमाचल सरकार के मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह ने बाबा कांशीराम की 135 वीं जयंती के अवसर पर उनके घर का अधिग्रहण करने इसका संरक्ष्ण तथा स्मृति में एक स्मारक बनाने का निर्णय लिया ।




Monday 10 July 2017

Famous rivers in himachal Pradesh

RIVERS IN HIMACHAL PRADESH


Short notes for has  allied services HPPSC HPSSSB exam

हिमाचल के लोग कृषि पर ज्यादा निर्भर रहते है कृषि के लिए पानी की जरूरत पड़ती है इस कमी को पूरा करने के लिए यहाँ 5 नदियां बहती है जो हिमाचल को ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों को भी इसका बहुत लाभ मिलता है भारतबर्ष के विभाजन के समय पंजाब के नामकरण में इन 5 नदियो से ही पड़ा है उनमे सतलुज ब्यास रावी चिनाव तथा झेलम नाम शामिल है जो बैदिक काल में सतुर्दि ,बिपाशा , परूषणी , आसकिनी तथा वितस्ता कहलाती थी ब्यास का पुराना नाम आर्जिकिया व् उरिस्ठजरा तथा रावी का नाम इरावती भी है चिनाव नदी चम्बा में प्रवेश करने से पहले लाहौल स्पिति व् पांगी में चन्द्रभागा नाम से जानी जाती है इन पांचों नदियों के समूह को पंचनद कहा गया है इन पांचों के साथ जब सिंधु और सरस्वती मिल गई तो इनका सामूहिक नाम सप्तसिंधु कहलाया सरस्वती जो अब बिलुप्त हो गयी है के बारे में यह बी कहना है कि यह प्रयाग के निकट गंगा यमुना से मिलती थी जो त्रिवेणी कहलाता है महाभारत में इन सब नदियों को देवनदियां कहा जाता है भारत के विभाजन के पश्चात् अविभाजित पंजाब में बहने वाली नदियों में से ब्यास , चन्द्रभागा अथवा चिनाव और रावी का प्रवाह हिमाचल में है सतलुज मानसरोवर के राक्सताल से निकल कर मुख्यत हिमाचल में प्रवाहित होती है सरस्वती भी सिरमौर जिला से निकलती थी यमुना बी यमुनोत्री से निकल कर हिमाचल के सिरमौर के कुछ क्षेत्र में बहती है ये नदियां छोटे छोटे खड्डों जो साल भर बहती रहती है उनके साथ मिल कर बड़ी बन जाती है यहां और भी छोटी नदियां है जिन्हें बारहमासा भी कहा जाता है परन्तु 5 नदियां मुख्य है आधुनिक युग में पंजाब 5 नदियों का प्रदेश न होकर हिमाचल 5 नदियों का प्रदेश है

Satluj river

सतलुज नदी का वैदिक नाम सुतुर्दि और सांस्कृतिक नाम सुतुर्दु है जो तिब्बत के मानसरोवर की झील के पास कैलाश पर्वत के दक्षिण में राक्षताल झील से निकल कर 400 किलोमीटर के लगभग दूर जाकर जास्कर और बृहद हिमालय को काटकर शिप्की दर्रे के पास हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करती है इसके बाद स्पिति में बहने वाली स्पिति नदी जो 112 किलोमीटर बहकर सतलुज में मिल जाती है बिलासपुर के पास जाकर भाखड़ा बांध के पास यह नदी हिमाचल को छोड़ती है यही एशिया का सबसे ऊँचा बांध है इसमें 2 दर्जन से अधिक नदियां मिलती है स्पिति नदी के अतिरिक्त बसपा नदी जो 72 किलोमीटर लंबी बसपा नदी प्रसिद्व है भावा भी इसकी सहायक नदी है हिमालय में निकलने की बजह से इसे हेमावती और हुफसिस भी कहा जाता है सतलुज को ग्रीक में हुफसिस और हुपनिस कहा जाता है
किन्नौर में सतलुज लड़छेन खम्बा के साथ साथ जड़-ती (सुवर्णनद) ,मुक्सड , सड-पो , सोमोद्रण्ड यानि समुद्र के नाम से भी जानी जाती है
सहायक नदियां - नागम्या के नीचे खाबो में स्पिति नदी सतलुज में मिलती है , बसपा , कुंजुम ला टेक पो , कविजमा , रोपा खडड ,स्यांशो खड , लिद फु , पेंजुर ,तेती , तिरुड़ खड , कशंड गर्ड , बिलासपुर में सलापड़ के समीप इसमें सुरंग से ब्यास का पानी डाला गया है तथा अन्य बहुत सारी छोटी छोटी खडे मिलती है

Project in satluj river In himachal pradesh

Karcham wangtoo dam in kinnaur

Bakhda dam in bilaHspur himachal pradesh

Kol dam hydro project bilaspur himachal pradesh

Nathpa jakhadi project himachal pradesh


Beas river

वेदों में ब्यास को आर्जिकिया और संस्कृत के वाड्मय में विपाशा नाम वर्णित है यह हिमाचल रदेश की प्रसिद्ध नदी है जो पीर पंजाल पर्वत श्रीखंला से रोहतांग के समीप व्यासकुण्ड समुद्रतल से 3978 मीटर है से निकलती है व्यास मंडी के 2 स्त्रोत है ब्यास कुंड और व्यास रिखी , मनाली लेह राजमार्ग पर चलते हुए रोहतांग शिखर पर सड़क के दाएं किनारे पर एक चट्टान है उसके साथ ही पानी का चश्मा है जहाँ सर पानी की वारीक धरा नीचे बहती है यही ब्यास का मूल स्रोत है जिसे व्यास रिखी कहते है  व्यास रिखी और व्यास कुंड के बीच , परन्तु दोनों से अधिक ऊंचाई पर इस क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण सरोवर दुशेहर स्थित है दुशेहर सरोवर से आता है राहनी नाला व्यास का सबसे पहला सबसे सहायक नाला है इन दोनों के संगम के साथ एक और नाला व्यास नदी में मिलता है व्यास रिखी , दुशेहर - सर और ब्रिगु हिमखंड का पानी मिलता है इसके बाद सोलंग नाला और दूसरा करणी नाला इसमें सोलंग नाला का स्त्रोत व्यास कुण्ड है कंगनी नाले का अपना महत्व है इसका स्त्रोत ऊँचे पर्वत- शिखरों का हिमखंड है जहाँ जोगणियां वास करती है व्यास नदी के ऊपरी भाग को उझि कहा जाता है और इस भाग में राहनी वालो को जेचा कहा जाता है , व्यास के सहायक नदी नालो में सबसे बड़ी पार्वती है ऐसे ही छोटे बड़े नदी नालो से मिलकर कुल्लू से मंडी और मंडी से काँगड़ा और काँगड़ा से हमीरपुर में और फिर काँगड़ा में और उसके बाद 256 किलोमीटर की दुरी तय कर मिरथल नामक स्थान पंजाब में प्रवेश कर जाती है

सहायक नदियां - कुल्लू जिले में पार्वती , पिन , मलाणा नाला , सोलंग , मनालसु , फोजल और सर्वरी इसकी सहायक नदियां खड्डे है । मंडी जिले में ऊहल ज्युनी , रमा , बिना , हँसा , तीर्थन , बाखाली , सुकेती , पनोडी , सोन और बढेड़ इसकी सहायक खडे हैं हमीरपुर में कुन्नाह और मान और काँगड़ा में विनवा ,न्यूगल , बाणगंगा , बनेर , गज , मनूणी , आदि इसकी प्रसिद्ध खड्डे हैं
सहायक नदियां और खडे - कुगती , मणिमहेश , बुड्डल खड , चनेड़ खड , अवोड़ी खड , मंगला खड , इंड खड्ड , मक्कन खड्ड , स्युल नदी

Project in beas river in himachal pradesh

Pong dam talwara himachal pradesh

Pandoh dam mandi himachal pradesh

Larji hydro project kullu himachal pradesh


Ravi rivr


रावी को वेदों में परुशिनी और संस्कृत में वाड्मय में इरावती कहा जाता था यह नदी धौलाधार पर्वत से श्रीखंला के बड़ा बंगाल क्षेत्र के भादल और तंतपुरी दो हिमखण्डों के सयुंक्त होने से गहरी खड के रूप में निकलती है चम्बा और रावी एक दूसरे के पूरक बन चुके हैं इस नदी का प्राचीन नाम इरावती है जिसे स्थानीय भाषा में रोति बी कहा जाता है बड़ा बंगाल से निकल कर छोटी छोटी जलधाराओं से मिलकर चोहड़ा नामक स्थान पर एक बड़ी नदी बन जाती है । रावी खड़ा मुख स्थान पर वुडल खड को अपने साथ मिला लेती है ओबड़ी खड सुल्तानपुरा में मिलती है मंगला खड यह चम्बा यह शीतला पुल के समीप रावी नदी में मिलती है तथा अन्य बहुत सी छोटी बड़ी खडे मिलती है रावी नदी हिमाचल में 158 किलोमीटर बहकर खेड़ी नामक स्थान में बहकर पंजाब में प्रवेश करती है

Project in ravi river



Chamera project chamba himachal pradesh

Ranjit Sagar dam punjab

Chenab river

चिनाब नदी को वेदों में असिकिनी के नाम से जनि जाती है यह बृहद हिमालय की पर्वत श्रृंखला में बारालाचा दर्रे के आर पार से समुद्रतल से लगभग 4891 मीटर की ऊंचाई से निकलने वाली चंद्रा भागा नामक दो नदियों के तांदी नामक स्थान पर मिलने से बनती है चन्द्रा के किनारे कोई बी आबादी नहीं है पानी के घनत्व में चिनाव नदी प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है भुजिन्द नामक स्थान पर यह पांगी घाटी में प्रवेश करती है हिमाचालिय क्षेत्र में 122 किलोमीटर बहने के बाद यह संसारी नाला के पास जम्मू कश्मीर की पोद्दार घाटी में प्रविष्ट हो जाती है चिनाव नदी के साथ मैदानी क्षेत्रों में कई कहानियां भी प्रचलित है प्रेमी जोड़े , सोहनी महिबाल की याद में इसे आशिकां डा दरिया भी कहते हैं हिमाचल में इसका स्त्रबन क्षेत्र 700 किलोमीटर है लाहौल से जिला डोडा तक चन्द्रभागा नदी अनुमानित लंबाई 220 किलोमीटर है जिसमे 80 किलोमीटर चन्द्रभागा नदी केवल चम्बा जिला के पांगी घाटी से होकर बहती है

Project in Chenab river

Gyspa project in Baga river lahaul spiti

Chatri Project in chandra river lahaul spiti 

Shangling project in chandra river lahaul spiti 

Miyar project in chandra bhaaga river 

Tandi project in lahaul spiti 

Rasil project 

Sach khash project chamba in Chenab river 

Dungar project chamba himachal pradesh 

Ghondhala project lahaul spiti 

Khokhar project lahaul spiti himachal pradesh

Yamuna river



यमुना नदी को वेदों में कालिंदी कहा गया है यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी क्षेत्र के कालिंद पर्वत से यमुनोत्री नामक स्थान से निकलती है पब्बर , गिरी ,टोंस , व् वाटा , इसकी मुख्य सहायक नदियां है सिरमौर जिले में यह खादर माजरी के पास उत्तराखंड से प्रवेश करती है फिर इस जिले की सीमा के साथ बहती हुयी ये ताजेवाला हैडवर्कर के पास डाकपत्थर नाम के स्थान पर हरियाणा में  जाकर मिलती है ।

Friday 7 July 2017

Palampur hill station

PALAMPUR GREEN HILL STATION
Palampur is a beautifull place . Its a green hill station. palampur name derived from palum name Its means lots of water there are lots of water stream blowing from moutain Its located in kangra valley it's famous for kangra tea palampur is the tea capital of the northwest india and also palampur famous for cool and fresh weather. Its situated on the bank of the neugal khad also under the dholadhar hills it's beautifull place there are lots of place tourist place nearby palampur . Palampur have a biggest bus stand of the himachal . Palampur is also hometown of the saheed capt. vikram batra who was awarded by parm vir chakra. First prime minister of india is pandit jawahar lal nehru visited in palampur 1941 nehru chowk name taken by this event. People of palampur is well manners and well educated . Youth of palampur is Wanna to join army there are evere faimly have one or two person service in army. There are also well education system every village have schools there are also collages and university . Himachal agree culture university also is palampur there are a heritage village many tourist visit there . Saurabh van bihar bundla gets its name from capt. Saurabh kalia who hails from palampur

TOURIST PLACE IN PALAMPUR

Neugal cafe

Neugal cafe is very atractive place atract the tourist if u didnt want to anywhere then you can enjoy to nature here its sittuated under the dhouladhar hills its made by himachal tourism in 1976 if you visit in palampur then dont miss the visit here

Sourabh van bihar

Saurabh van bihar is also located in palampur its also atrative place atract to tourist name derived from first saheed capt. Saurabh kalia name . Saurabh ban bihar is 3 km from palampur its situated in the forest you can enjoy the view of nature here . You can also enjoy the boating here

Bir billing 

Bir billing is locted in near by palampur bir and billing is two place bir is village and billing is top of the mountain billing is 35 km from palampur and 14 km from bir its one of the place in india where organised world cup 2015. Lover of adventure can enjoy the peraglinding here

Buddhist monastery in palampur

Sherabiling monastery is located near palampur its is one of biggest monatery in india its also nearby baijnath its middle of the forest attract to tourist

 Khapgar bodh monastery tashijong is located middle of palampur and baijnath its located in taragarh village here we can see the little bodh student stdy there are lots of other little monastery near by palampur

Gopalpur zoo 

Goplapur zoo is near by palampur if you visit in palampur then dont miss to visit in gopalpur zoo there are many species of the animals zoo is located in doladhar valley its very cool and peacefull place

Temple near palampur

Baijnath shiv temple

Chamunda devi temple

Jakhani mata temple

Bundla mata temple

Vidyavasini mata temple

Trecking route in palampur

Palampur . Baijnath . Bir . Billing . Rajgudha . Thumsar glaciar . Bada bangal . Manali

Palampur . Baijnath . Bir . Billing . Rajguda . Barot

Baijnath . Paprola . Utrala . Jalsu jot . Holi . Chamba

Palampur . Jia . Himani chamunda

Palampur . Baijnath . Diyol . Tatapani

Delicious food of palampur

Mithdu pakodu gulgule is the best of delicious food of palampur people coock this food in special occation . If you visit in palampur then dont miss to taste it.

Festival of palampur

Sair , holi , diwali , Minjar , lohri






Tuesday 4 July 2017

Hp police question paper



HIMACHAL PRADESH 2016 SOLVED QUESTION PAPER (ENGLISH PART)

HP POLICE PERVIOUS YEAR QUESTION PAPER (ENGLISH PART)



1. Choose the correctly spelt world 
A. Argument 
B. Arguement 
C. Argumant 
D.arguemant

2. My father /deals /with garments 

 A. B. C. D.(no error)


3. Knowledge of (a)/at least two languages(b)/ are required to pass the examination.(c)/no error (d)

4.What will be past indefinite tense of "I play cricket":
 A. I have been playing cricket
 B. I played cricket.
 C. I had played cricket.
 D. I did not play cricket

 5.person who has no money to pay his debt is called:
 A. Poor
 B. Pauper
 C. Destitute
 D. Insolvent

6.Choose the correctly spelt word:
 A. Aluminium
 B. Alminium
 C. Elminium
 D. Alumenium

7. I have been living here...........2009.
 A. from
 B. since
 C. for
 D. between

8.She fell prey........malaria.
 A. of
 B. for
 C. into
 D. to

9.Rohan is good.......mathematics.
 A. in
 B. for
 C. at
 D. on

10.To die in harness:
 A. to die young in accident
 B. planned murder
 C. to die while in service
 D. to be taken by surprise

11.A cock and bull story:
 A. Long story
 B. Factual story
 C. true story
 D. A lie

12.To miss the bus:
 A. to miss an opportunity
 B. to miss the daily bus to work
 C. to find fault with others

13.A doctor who treats diseases of the eye is known as:
 A. Radiologist
 B. Ophthalmologist
 C. Cardiologist
 D. Dermatologist

14.Which is not a synonym of DISASTER?
 A. Misfortune
 B. Calamity
 C. Prosperity
 D. Mishap

15.The passing on of physical or mental characteristics from one generation to another is known as:
 A. Heritage
 B. Pedigree
 C. Heredity
 D. Legacy

16.Opposite of the word CONCUR is:
 A. Disagree
 B. Disappear
 C. Discourage
 D. Damage



Pabbar valley ( rohru ghati)

Pabbar valley ( rohru ghaati ) Pabbar घाटी को रोहड़ू घाटी भी कहते हैं । यह घाटी pabbar नामक नदी के किनारे स्थित है ।  यह बहुत ही खूबसरत है ,...